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शुक्रवार, 2 अक्तूबर 2009

एलआईसी के सामने पानी भर रहीं निजी बीमा कंपनियां



ऐसा लगता है कि भारतीय ग्राहकों ने अमेरिका व अन्य विकसित देशों में निजी क्षेत्र के बैंकों व बीमा कंपनियों के डूबने से खासा सबक सीख लिया है। तभी तो उन्होंने निजी क्षेत्र की जीवन बीमा कंपनियों से तौबा करनी शुरू कर दी है। ताजा आंकड़े तो कुछ ऐसी ही गवाही दे रहे हैं। आम आदमी को निजी क्षेत्र की जीवन बीमा कंपनियों से पालिसी लेने में हिचकिचाहट होने लगी है, जबकि मंदी के बावजूद सरकारी कंपनी भारतीय जीवन बीमा निगम [एलआईसी] की पालिसियों को हाथों-हाथ लिया जा रहा है। अप्रैल से अगस्त, 09 के बीच एलआईसी की प्रथम प्रीमियम आय [एफपीआई] में 45 फीसदी की वृद्धि हुई है, जबकि सभी 21 निजी जीवन बीमा कंपनियों की एफपीआई में गिरावट दर्ज की गई है।
भारतीय बीमा नियामक और विकास प्राधिकरण [इरडा] के आंकड़ों के मुताबिक इस अवधि में देश की सभी 22 बीमा कंपनियों की पहली प्रीमियम आय 31 हजार 39 करोड़ रुपये रही है। पिछले वर्ष की समान अवधि में यह 26 हजार 449 करोड़ रुपये थी। यह बीते साल के मुकाबले 17 फीसदी ज्यादा है। लेकिन तस्वीर का दूसरा पहलू यह है कि निजी बीमा कंपनियों की एफपीआई इस दौरान 12 हजार 89 करोड़ रुपये से घटकर 10 हजार 227 करोड़ रुपये रह गई है। एलआईसी की प्रीमियम आय में 45 फीसदी की वृद्धि होने से पूरे जीवन बीमा क्षेत्र की इज्जत बची रह गई है, नहीं तो दुनिया के अन्य देशों की तरह यहां भी जीवन बीमा प्रीमियम में गिरावट हुई होती।
अपने आपको देश की सबसे बड़ी निजी जीवन बीमा कंपनी का दावा करने वाली आईसीआईसीआई प्रूडेंसियल की आमदनी इस अवधि में 40 फीसदी तक घटी है। दूसरी सबसे बड़ी निजी जीवन बीमा कंपनी एसबीआई लाइफ की प्रीमियम आमदनी भी इस दौरान 1,763 करोड़ रुपये से घट कर 1,703 करोड़ रुपये रह गई है। अगर सभी निजी बीमा कंपनियों को संयुक्त तौर पर देखें तो इनकी प्रीमियम वसूली में 15 फीसदी की गिरावट हुई है।
जानकारों का मानना है कि भारत में निजी बीमा कंपनियों से ग्राहकों का मोह भंग होने की एक प्रमुख वजह हाल के वर्षो में कई प्रमुख विदेशी बीमा कंपनियों का दिवालिया हो जाना है। यही कारण है कि कई नई पालिसियां लांच करने के बावजूद निजी बीमा कंपनियां ग्राहकों को नहीं आकर्षित कर पा रही हैं। वहीं दूसरी तरफ भारतीय जीवन बीमा निगम की वर्षो पुरानी पालिसियों पर ग्राहक एक बार फिर भरोसा करने लगे हैं।

4 टिप्‍पणियां:

  1. इस का कारण निजि बीमा कंपनियों की सेवाओँ के स्तर, कम लाभ और विवादित दावों की संख्या अधिक होना है।

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  2. अच्‍छी सूचनाएं हैं। एलआईसी को अपने एजेण्‍टों को और अधिक प्रशिक्षित करना चाहिए तथा उनमें व्‍यावसायिकता (प्रोफेशनलिजम) विकसित करनी चाहिए।
    आपसे सम्‍कर्प कैसे किया जा सकता है, बताइएगा।

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  3. पोस्ट सार्थक रही।

    जन्म-दिवस पर
    महात्मा गांधी जी और
    पं.लालबहादुर शास्त्री जी को नमन।

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  4. जब दुनियॉं में कई तरह की लूट मची हुई हो और देश के ही एक राश्ट्ीयकृत बीमा निगम ने लोगों का दिल जितकर निजीकरण की मूंंह में तमाचा मार कर यह साबित कर दिया कि बीमा कंपनी चलाना तुम्हारा काम नहीं है ।

    इरडा के ऑंकडों से देशी कर्ता -धर्ताओं को सबक लेकर बीमा निगम को खत्म करने का सरकारी प्रयास अविलम्ब बंद कर देना चाहिए और अन्य निजी कंपनीयों को पूर्व की भॉती अधिग्रहण करते हुए भारतीय जीवन बीमा निगम के अधिन करना सवर्था उचित होगा ।

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