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मंगलवार, 4 अगस्त 2009

ईस्ट और वेस्ट , इंडिया इस दी बेस्ट :- चीनी ड्रैगन पर भारी कलकत्ते की राखी !!


भाई-बहन के प्रेम के प्रतीक राखी के त्यौहार पर इस बार चीनी ड्रैगन की मार का असर दिखाई नहीं दे रहा है। यूं तो वैश्वीकरण के इस युग में भारत के सभी त्यौहार के दौरान बाजार चीन से आयातित उत्पादों से पट जाते हैं। लेकिन राखी के इस पावन त्यौहार पर चीन का दबदबा नजर नहीं आ रहा है।

व्यापारियों के मुताबिक, इस बार बाजारों में बिकने वाली ज्यादातर राखियां कलकत्ते की हैं। राखी के थोक बाजार में इस समय सबसे ज्यादा मांग में स्टोन की राखियां हैं। राखियों के थोक कारोबारियों के अनुसार, बाजार में हालांकि, जड़ी-बूटियों, चंदन, मेटल आदि की राखियां भी बिक रही हैं, लेकिन इस बार खरीदार स्टोन की राखियों को पसंद कर रहे हैं। देखने में खूबसूरत इन राखियों का दाम थोक बाजार में 24 रुपए से 300 रुपए प्रति दर्जन तक है।

उनके अनुसार, अब फोम वाली राखियों का चलन लगभग खत्म हो चला है। इसी कोलकाता के मौली के धागे वाली राखियों की भी काफी मांग है। इसकी वजह यह है कि रेशम के धागे वाली राखी बांधने के बाद खुल जाती है, जबकि मौली के धागे वाली राखी के साथ ऐसा नहीं होता।

हालांकि, बाजार में कोलकाता की राखियों की बहार है। लेकिन बच्चो की राखियां आज भी चीन की हैं। कार्टून कैरेक्टर शिंचन, स्पाइडरमैन, बेन 10 या फिर गाडफिगर वाली राखियों की भी अच्छी डिमांड है। इस तरह ही खिलौने वाली राखियों में खिलौने आदि चीन के ही लगाए जाते हैं।

एक अन्य व्यापारी ने बताया कि बच्चो के लिए इस बार लाइट वाली राखियां भी आई हैं, जिनका दाम 10 रुपए से 50 रुपए तक है। इस थोक बाजार में हर साल राखियों का कारोबार करोड़ों रुपए का होता है। वे कहते हैं कि इस बार गर्मी की वजह से हर साल की तुलना में उनके कारोबार में 20 से 30 प्रतिशत की कमी आई है।

हालांकि, पिछले दो-तीन में अभी तक ठंडा पड़ा राखी का कारोबार फिर गरमा गया है। बाजार में सोने और चांदी की राखियां भी हैं, लेकिन इनके खरीदार सीमित ही हैं। पहले चांदी की राखियां खूब बिका करती थीं। लेकिन अब चांदी काफी महंगी हो गई है, जिसकी वजह से इनकी मांग घटी है। चांदी की राखी 50 रुपए से लेकर एक हजार रुपए तक हैं।

सोने की राखियां आर्डर पर तैयार की जाती है हैं। सात ग्राम की सोने की राखी 7500 रुपए तक है। सोने की राखी का दाम 5000 रुपए से 25000 रुपए तक है। लेकिन सिर्फ उच्च वर्ग में ही इनकी मांग है। इस तरह की राखियों की बिक्री बहुत ज्यादा नहीं है।

1 टिप्पणी:

  1. आपका ब्लॉग एक अच्छा प्रयास है अपने नामे के अनुरूप ।

    एक नया मुद्दा है । जैसे जैसे डाय्ग्नोस्टिक प्रक्रिया बढ रही है, इस पर गम्भीरता से विचार किया जायेगा ।

    comment form se kripayaa word verification hata den yah anaawashyak hai aur isase tippanee karane kee prakiyaa deergh ho jaatee hai |

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